STORY OF THE DAY – RESPECT YOUR PARENTS

STORY OF THE DAY

अपनों की कीमत

पढ़ाई पूरी करने के बाद एक छात्र किसी बड़ी कंपनी में नौकरी पाने की चाह में इंटरव्यू देने के लिए पहुंचा

छात्र ने बड़ी आसानी से पहला इंटरव्यू पास कर लिया

अब फाइनल इंटरव्यू कंपनी के डायरेक्टर को लेना था और डायरेक्टर को ही तय करना था कि उस छात्र को नौकरी पर रखा जाए या नहीं

डायरेक्टर ने छात्र का सीवी (curricular vitae) देखा और पाया कि पढ़ाई के साथ- साथ यह छात्र ईसी (extra curricular activities) में भी हमेशा अव्वल रहा

डायरेक्टर- क्या तुम्हें पढ़ाई के दौरान कभी छात्रवृत्ति (scholarship) मिली…?

छात्र- जी नहीं…

डायरेक्टर- इसका मतलब स्कूल-कॉलेज की फीस तुम्हारे पिता अदा करते थे..

छात्र – जी हाँ , श्रीमान ।

डायरेक्टर- तुम्हारे पिताजी क्या काम करते है?

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Story of the day – Take whatever god gives you

STORY OF THE DAY

ईश्वर कि मर्जी पर रहे खुश

एक बच्चा अपनी माँ के साथ खरदारी करने एक दुकान पर गया तो दुकानदार ने उसका मासूम चेहरा देख कर टोफियो का डिब्बा खोला और उसे आगे करके कहा, लो जितनी चाहे टोफिया ले लो |

लेकिन बच्चे ने उसे बेहद शालीनता से मना कर दिया | दुकानदार ने दुबारा कहा लेकिन बच्चे ने खुद टोफिया नहीं ली |

बच्चे कि माँ ने बच्चे को टोफिया ले लेने के लिए कहा | लेकिन बच्चे ने खुद टोफिया लेने के बजाए दुकानदार के आगे हाथ फेला दिया और कहा, आप खुद ही देदो अंकल | दुकानदार ने टोफिया निकलकर उसे देदी तो बच्चे ने दोनों जेंबो में दाल ली |

वापस आते वक्त उसकी माँ ने पुचा कि जब दुकानदार ने डिब्बा आगे किया तब टॉफी क्यों नहीं ली और उन्होंने खुद निकलकर दी तब ले ली ? इसका क्या मतलब ? बच्चे ने बड़े मासूमियत से जवाब दिया कि माँ मेरे हाथ छोटे हैं खुद निकलता तो एक या दो टोफिया आती |

अंकल के हाथ बड़े थे, उन्होंने निकली तो देखो कितनी सारी मिल गई |

ठीक इसी तरह हमें उस ईश्वर कि मर्जी में खुश रहना चाहिए | क्या पता वह किसी दिन हमें पूरा सागर देना चाहता हो और हम अज्ञानतावश बस एक चम्मच लिए ही खड़े हो |

एक रुपया : A rupee earned short story

एक महात्मा भ्रमण करते हुए किसी नगर से होकर जा रहे थे । मार्ग में उन्हें एक रुपया (A rupee) मिला । महात्मा तो वैरागी और संतोष से भरे व्यक्ति थे भला एक रूपये (A rupee) का क्या करते इसलिए उन्होंने यह रुपया किसी दरिद्र को देने का विचार किया कई दिन की तलाश के बाद भी उन्हें कोई दरिद्र व्यक्ति नहीं मिला ।

एक दिन वो अपने दैनिक क्रियाकर्म के लिए सुबह सुबह उठते है तो क्या देखते है एक राजा अपनी सेना को लेकर दूसरे राज्य पर आक्रमण के लिए उनके आश्रम के सामने से सेना सहित जा रहा है । ऋषि बाहर को आये तो उन्हें देखकर राजा ने अपनी सेना को रुकने का आदेश दिया और खुद आशीर्वाद के लिए ऋषि के पास आकर बोले महात्मन मैं दूसरे राज्य को जीतने के लिए जा रहा हूँ ताकि मेरा राज्य विस्तार हो सके । इसलिए मुझे विजयी होने का आशीर्वाद प्रदान करें ।

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